कल्पनाओं का पुल
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
मन के भीतर एक नगर है छाया,
जहाँ विचारों की बहती है माया।
कल्पनाओं का पुल वहाँ से जाता,
सपनों के लोक में हमको बुलाता।
ईंटें नहीं हैं, इच्छाओं से निर्मित,
आशाओं के रंगों से है चित्रित।
तर्क की बेड़ी यहाँ टूट जाती,
भावनाओं की लहरें लहराती।
अतीत के खंडहरों पर यह डोले,
भविष्य के नजारों को यह खोले।
यथार्थ की सीमाएँ यहाँ धुंधली,
असम्भव भी लगता है अगली।
कभी यह उड़ता बादलों के पार,
कभी उतरता है सागर के द्वार।
अज्ञात राहों का यह पथिक है,
हर सोच एक यात्री क्षणिक है।
इस पुल पर चलकर मन होता आज़ाद,
हर बंधन से मिलती है फरियाद।
यह जोड़ता है दूर के किनारों को,
सृजन की शक्ति देता विचारों को।
डरना नहीं इस पर चलने से कभी,
नई दुनिया की राहें हैं सभी।
कल्पनाओं का यह अद्भुत सेतु,
रचता है हर पल एक नवीन हेतु।