मनचली मौज में उतरा गई कश्ती मेरी।
तुम्हारे इशारे से किनारे गई कश्ती मेरी।।
सावन ऐसा आया दिल बाग बाग हुआ।
तुम्हारे बैठते ही लहराती गई कश्ती मेरी।।
हवा ऐसी चली कि बदल गया सुर ताल।
आशिक मिजाज में डोल गई कश्ती मेरी।।
मोहब्बत की दुनिया में जुबान के बगैर।
प्रेम का भाव समझती गई कश्ती मेरी।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद