कहाँ कोई खाली हाथों छोड़कर जाता है,
जो भी जाता है एक कहानी देकर जाता है।
एक किताब हूँ मैं अपने माज़ी की,
हर कोई एक सफ़्हा जोड़कर जाता है।
जानता हूँ हर दिल की मतलबी ख्वाहिशों को,
मग़र मेरी आदतों की मरम्मत करके जाता है।
कौन मेरे काम आएगा जानता हूँ मैं,
मगर ज़िन्दा रहने का जज्बा देकर जाता है।