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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कुछ दूब उगी है हरी भरी - अशोक कुमार पचौरी


आनंदित कोलहित है,
मौसम भी लालायित है,
महके महके हैं कुसुम,सुमन,
उपवन कितना महक रहा,
ये गगन में उड़ते खग देखे?
चह -चह से कितना चहक रहा,
कुछ लता पता भी बिखरी हैं,
कुछ दूब उगी है हरी भरी,
कुछ तरह तरह की नयी नयी,
छोटी घासें भी हैं निकली,
आंधी का सा मौसम है या,
बारिस है आने वाली,
उस अनंत आसमां में,
सूरज ने घोली कैसी लाली।

-अशोक कुमार पचौरी
(जिला एवं शहर अलीगढ से)




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

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कमलकांत घिरी said

प्रकृति का बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णन किया है आपने, बहुत खूब, कुछ पल के लिए तो हमें ऐसा लगा कि हम बारिश का मौसम शुरू हो गया है, और हमारे चारों ओर हरियाली छाई हुई है.! बहुत सुंदर रचना है👌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

कांत सर आपका बहुत बहुत आभार!!

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