काश तुमसे सिर्फ़ मुलाक़ात होती,
प्यार न होता तो दिल तुम्हारी बातों में यूंँ गिरफ़्तार न होता।
क्या बताएं हम अपनी आशिक़ी का जमाना,
तय वक्त से सेकेंड की सुई खिसकती तो इंतज़ार न होता।
शुरू-शुरू में तो सब अच्छा लगता है,
मगर कुछ वक्त बाद ख़ुद पर हीं ख़ुद का इख़्तियार न होता।