जिसकी लाठी भैंस उसीकी
बाकी सबकी ऐसी तैसी
सीधे सादे ही भरते हैं पानी
गुंडा है जो ऐश उसी की
जिसके घर में छापा पड़ता
ऊँची होगी नाक उसी की
रिश्वत खाओ रिश्वत बांटो
कृपा आये लक्ष्मी जी की
दिन में जो तारे दिखला दे
मुट्ठी में दुनिया है उसीकी
खून गरीबों का बस पीता है
आरती गाये गाँधी जी की
दास बड़ा तन मन बोझिल है
कमियां मानो सारी उसी की II