जिस दिन तुमसे मिलता हूँ खिल उठता हूँ
जिस दिन तुझसे मिलता हूँ खिल उठता हूँ।
तुझे देख मैं तुझमें ही खो उठता हूँ।।
देखते ही तुझे मदहोश सा हो जाता हूँ।
मैं बारिश की बूंदों सा तुम पर गिरना चाहता हूं।।
तेरे सामने आते ही, मैं पूरी किताब सा बन जाता हूँ।
लिखने को तेरे ही बारे में, मैं खुद बेताब हो जाता हूँ।।
लिपटकर तेरी बाहों में, सुकून सा हो जाता हूँ।
जिंदगी के इस पल को, मैं तेरे संग जीना चाहता हूँ।।
- सुप्रिया साहू