तुमने पहले से ही राय बना ली
मुझे छोड़कर जाने के लिए,
देकर दर्द भरे आंसु मुझे,
ये महफ़िल सज़ा ली,
तुमने पहले से ही राय बना ली।
देकर धोखेबाजी का कर्ज,
तुझे भूलने के लिए,
मुझे शराब पीना सिखा दी,
तुमने पहले से ही राय बना ली।
जिंदगी भर साथ निभाने की कसमें खाकर,
मेरा दिल तोड़ा इस कदर,
सड़कों में फिरता आवारा बेजुबान बना दी, तुमने पहले से ही राय बना ली।
कैसी प्रीत तुमने मुझसे लगा ली,
थोड़ा भी दुःख न हुआ तुझे,
मुझे छोड़ जाने की,
ये कैसी शर्मिंदगी ढा ली,
तुमने पहले से ही राय बना ली।
- सुप्रिया साहू