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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हर जमीं का आसमां होता है।

हर जमीं का आसमां होता है।
परेशानी में क्यूं परेशां होता है।।

दर्दे दिल्लगी है कैसे छुपाओगे।
ये तो खुद ब खुद बयां होता है।।

वो न थे नसीब में तो न मिले।
दिल तू क्यूं खामो खां रोता है।।

फितरत कहां दिखती है नज़रों से।
अक्सर हंसने वाला तन्हा होता है।।

आशिकी ए यार में रब दिखता है।
जब इश्क दिल में जवां होता है।।

ऐसे कैसे बदनाम हो गए तुम यूं ही।
बिना आग के कहां धुंआ होता है।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

वाक़य अक्सर हंसने वाला तन्हा ही होता है ताज साहब बिल्कुल सही बहुत सुंदर रचना

ताज मोहम्मद replied

आपका ह्रदय से धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत खूब बहुत बढ़िया जनाब एक अर्से बाद ऐसा पढ़ने को मिला है इसी तरह कुछ देते रहिये पढ़ने के लिए कुछ अच्छा पढ़ने के लिए कहाँ जाएँ यही मिल जा रहा है सब आखिरी वाले ने तो दोबारा पढ़ने के लिए मज़बूर कर दिया "ऐसे कैसे बदनाम हो गए तुम यूं ही। बिना आग के कहां धुंआ होता है।।"

ताज मोहम्मद replied

बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी।

Kapil Kumar said

Lajawab har jameen ka Aasman hota hai pareshani mein kyon pareshan hota hai Bahut khoob adbhut

ताज मोहम्मद replied

आपका तहे दिल से शुक्रिया भाई जी।

फ़िज़ा said

Bahut Umda Lazwaab ..HarZameen ka Aasmaan Hota Hai Bahut khoob...

ताज मोहम्मद replied

आपका तहे दिल से शुक्रिया जी।

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