जिन्दगी को एक हकीकत या के अफसाना लिखें
हर किसी से जब अदावत कैसे याराना लिखें
जो इश्क में खुद अपने हाथों जान लेता यार की
उसको तो कातिल कहेँगे कैसे दीवाना लिखें
वक्त की दीवार ऊँची यह लाँघना मुमकिन कहाँ
रूखी सूखी मिल रही है कैसे गुलदाना लिखें
हम पे खुलकर तंज के जब तीर दागे जा रहे हों
जख्म गहरे मिल रहे तो कैसे नजराना लिखें
जिन्दगी चींटी की माफिक रेंगती कब तक रहेगी
जो उदासी का सबब कैसे खिल जाना लिखें
ना इधर है ना उधर कोई दास जन्नत का निशान
हर कदम मयखाने देखो कैसे बुतखाना लिखें II