गीत गज़ल छंद मुक्तक लेख नज़्म रुबाईयां बहुत हैं
नित कहानी हैं कई हुश्ने वतन की रानाइयां बहुत हैं
नये अदब की आन बानशान की ये बज़्म है लिखन्तु
हर कलम में दास रंगे - सुखन की ऊँचाइयाँ बहुत हैंI
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उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है
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