जीवनोत्कर्ष ,
आजीवन संघर्ष ,
युग कर्कश !
वैश्विक होड़ ,
सत्ता धन संपत्ति ,
फजूल दौड़ !
झूठ फरेब ,
आजीवन संग्रह ,
किसके लिए ?
खाली थे हाथ ,
जन्म पे नग्न काया ,
रोता था आया !
मनु जीवन ,
चार दिन जिन्दगी,
संतुष्ट रह !
नई उमंग ,
सत्य अहिंसा संग ,
मत हो तंग !
नेकी करके ,
पुण्य का घड़ा भर,
छोड़ दे स्वार्थ !
सांच को आंच ,
कभी नहीं लगती,
चैन श्मशान !
सत्ता सम्पदा ,
रिश्ते धन गृहस्थी ,
मिथ्या है भाई !
विश्व विजेता ,
सिकंदर मौन था,
ताबूत अंदर !
✒️✒️✒️ राजेश कुमार कौशल ,
ढोह कंज्यान ,भोरंज,हमीरपुर, हिoप्रo