👉 बह्र - बहर-ए-मुतदारिक मुसम्मन सालिम
👉 वज़्न - 212 212 212 212
👉 अरकान - फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
बे-ख़बर मत रहो कुछ ख़बर तो रखो
अपनी कमियों पे थोड़ी नज़र तो रखो
होगा एहसास-ए-जन्नत यक़ीनन तुम्हें
तुम कभी माँ के कदमों में सर तो रखो
माल-ओ-ज़र सारी दुनिया का भी कम पड़े
अपने ईमाँ में इतना असर तो रखो
बात इंसानियत की भी कर लो कभी
अपना मज़हब कभी अपने घर तो रखो
गम की रातों से ना हार मानो कभी
आस की सँग अपने सहर तो रखो
तुमको चाहत है मंज़िल को पाने की गर
अपने पैरों के नीचे सफ़र तो रखो
'शाद' होते हैं तारीफ़ सुनकर सभी
ऐब सुनने का भी तुम जिगर तो रखो
©विवेक'शाद'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




