चलते रहें अपनी मस्ती अपनी धुन में
नहीं किसी उधेड़ बुन में।
खुशियों के कुछ पल चुराने को ।
दुनियां के दुःख भरी राहों पर
शीतलता बरसाने को।
वह आदमी क्या जो खुशी ना दे सके।
दूसरों के होठों पर हँसी ना दे सके।
अरे रुलाने की किसी को क्या ज़रूरत
क्यों करनी कोई शरारत
पर देख के तुमको हँसी आ जाए किसी को
ऐसी कर लो तुम अपनी मूरत।
थके परेशान लोगों की बन जाओ तुम
ज़रूरत।
कुछ अच्छा करने की नहीं होती कोई मुहूरत।
बस सब अच्छा करने की मन में अपनी
लगन लगी है।
बस कुछ ऐसी हम मस्तों की टोली चली है।
सब नाच रहें बस अपनी मस्ती अपनी धुन में..
जहां प्यार मोहब्ब्त जिंदाबाद
जहां रहे हर कोई आबाद।
जहां प्यार मोहब्ब्त जिंदाबाद....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




