👉 बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख़बून महज़ूफ़ मक़तू
👉 वज़्न - 2122 1212 22
👉 अरकान - फ़ाएलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
ज़ब्त अपना यूँ आज़माते हैं
चोट खाते हैं , मुस्कुराते हैं
गैर बदनाम हैं यहाँ यूँ ही
अपनों को अपने ही गिराते हैं
लोग जो भी करीब हो दिल के
दिल को उतना ही वो दुखाते हैं
देख कर आपका हसीं चेहरा
हम सभी दर्द भूल जाते हैं
मौत का भी नहीं है डर हमको
बस मोहब्बत से ख़ौफ़ खाते हैं
ज़ीस्त में क्या कोई सिखाएगा
सानेहे जो सबक सिखाते हैं
जिंदगी चार पल का मेला है
लोग आते हैं और जाते हैं
वक्त-ए-मुश्किल में दश्त-ए-ग़ुर्बत में
'शाद' अपने ही याद आते हैं

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




