जब आईने पर धूल की एक परत जम जाएगी
कैसी सूरत उजली हो पर धुंधली नजर आएगी
चाँद सूरज पे कभी जब हावी होता है ग्रहण तो
चाँदनी और धूप तब कुछ ना कुछ घट जाएगी
गम ख़ुशी के दरमियाँ है बस नजर का फासला
डूबके देखो जो गममें उसकी दवा मिल जाएगी
आदमी हालात के आगे बेशक बहुत मजबूर है
हौसला लेकिन करें कोई राह भी मिल जाएगी
दास दो दिन दिल्लगी कर जिन्दगी होगी हसीं
बाकी दो दिन आँसुओ की ये लड़ी रह जाएगी

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




