नव बचपन
धूप में खड़े सैकड़ों हाथ-पैर ,
और उनकी अंगुलियों की पकड़,
मुट्ठी का बंद होना,
साथ-साथ में गुड़े गुड़ियों का खेल,
कंचे, गिल्ली-डंडा,पकड़म-पकड़ाई,
खिलौनें और उनके जिद्दी होकर खेल,
बच्चों का ही होता है सच्चा मेल,
जाकर कीचड़ में उछलना,
गेंद देकर मारना,
जोर जोर से सींटी बजाना ,
बिना किसी कारण हँसी ठहाकों की आवाजें,
और एक दूसरे कपड़े खींचना,
बनाना एक मिट्टी का घर,
गाड़ी और चूल्हा चौका,
और देना एक ज़ोर की,
अब कहो मज़ा आया,
लेना हँसी को भीगती हुई पलकों से,
जाना नंगे पाँवों से खुले मैदान के फर्श पर,
और जोर जोर से चिल्लाना,
लेना खुद का नाम,
पहाड़ों के बीच,
खुद पुकारते हुए महसूस करना,
और गाँव के मेले का इंतजार करना,
और वो दोस्ती का हाथ बढ़ाना,
एक तेरी और मेरी टोली बनाना,
चलना फिर खेतों में,
माईं बाप का हाथ बंटाना,
गुड़े गुड़ियों का ब्याह रचाना,
बचपन को सोचकर,
सिर्फ स्मृति में ही आना,
आएगा रूप वही बस शर्त है,
वो शख्स अलग है।
- ललित दाधीच

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




