नूरे चश्म बन जाएं ये ख्वाहिश सबको रहती है
जरा मशहूर होने की ख्वाहिश सबको रहती है
लिखो कितना भी ज्यादा फर्क तो पड़ता नहीं
सुनें कोई हमें दिल में ख्वाहिश सबको रहती है
कोई कुछ नहीं करता है फिर भी नाम पाता है
करें हम कुछ नया ये ख्वाहिश सबको रहती है
नुमाइश है खुली बड़ा बाजार है घर के सामने
मिले हर चीज सस्ती ख्वाहिश सबको रहती है
यहां तो दास कोई भी नही जो हमको पहचाने
देखके कोई मुस्काये ख्वाहिश सबको रहती हैII

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




