प्रेम असलियत में एक एहसास 'उपदेश'।
जो पूरा आजकल ख्वाबो में ही हो रहा।।
जीवन बाहर से शांत नजर आता जरूर।
पर अन्दर ही अन्दर मन हिलोरे ले रहा।।
चलचित्र की तरह तस्वीरें चलती रहती।
ठहराव की घड़ी में क्यों अधीर हो रहा।।
आनन्द क्षितिज पर उतरना चाहता है।
पुरानी यादो से आँखो से नीर बह रहा।।
ऐसा वक्त जरूर आता प्रेम के वशीभूत।
जुदाई में रह कर शायद ग़ज़ल कह रहा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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