अभिलाषाओं की पूर्ति में सब कुछ भुलाते चले गए
प्राथमिकताओं की खूबसूरत सीढ़ी बनाते गए
जब पहुँचे गर्व की ऊँचाई पर जो अहम् से भरी थी
उस पल स्वयम् को अकेला पाया
न कोई अपने साथ खड़ा देखा
न कोई सराहना करने वाला ही था
तमन्नाओं को होड़ में हमने ऐसी दौड़ लगाई कि
बहुत पहले ही सब अपने पीछे छूट चुके थे
उसका एहसास इस पल में हुआ..
वन्दना सूद