हमारे देश की सतत विकासशील
अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे
बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के आतुर है
हर देशवासी का कर्तव्य है
इसमें अपना अपना योगदान करे!
हम भी देशभक्त होने के नाते
अपना योगदान देने के इच्छुक हैं
इसीलिए हमने तीव्रतर विकास
का मन्त्र खोजा है
यह अनोखा मन्त्र है रिश्वत
जी हाँ नाम एक लाभ अनेक.
रिश्वत की कथा अनंत है
रिश्वत की महिमा अनंत है
इसमें जाति पाती ऊँचे नीचे
का कोई भेदभाव नहीं है
यह एक अचूक दवाई है
जो सभी ने आजमाई है
समाज के साथ इसका
जन्म जनम का नाता है
इसकी खुराक मिलते ही
निष्क्रिय आदमी भी तुरंत
सक्रिय हो जाता है
बिगड़ता हुआ काम भी
खुद बन जाता है
अब अधिकतम देशवासी
गरीबी की रेखा से ऊपर आ चुके है
और अच्छी खासी रकम पा चुके हैं.
रिश्वत देने की क्षमता पा चुके हैं
वैसे भी जो रिश्वत नहीं दे सकता
उसे सेवा का अधिकार नहीं है
सिर्फ कस्टमर है वो
उसे कस्ट से मरने का वरदान मिला है
खैर सरकार को आय बढ़ाने के लिए
रिश्वत को अधिकृत
करदेना चाहिए
इस पर टैक्स लगाकर
राष्ट्रीय आय बढ़ानी चाहिए
हर स्तर पर इसके रेट
निर्धारित कर दियें जाये
किसी को वेतन डी ए
मकान भत्ता टी ए की जरुरत नहीं है
कोई जी इस टी इनकम टैक्स
या सरचार्ज की जरूरत नहीं है
हर कर्मचारी हमेशा चुस्त दुरस्त रहेगा
बिना समय सीमा के बढ़ चढ़कर
काम करेगा
हड़ताल और प्रदर्शन
का कोई झमेलारहेगा
समूचा प्रशांसन
हमेशा चुस्त दुरस्तरहेगा
सब काम समय पर
हो जायेगा
शिकायत का नामोनिशान
नहीं रहेगा
रिश्वत का दायरा बढ़ाकर
इसे प्राइवेट क्षेत्र में भी लागु
किया जाये
और हर वर्ष ज्यादा रिश्वत लेने वालों को
सम्मानित और पुरस्कार दिए जाएँ
देखना साल भर में
सरकार का खजाना लबाबब भर जायेगा!
और देखते देखते हमारा देश
सबसे विकसित अर्थव्यवस्था
बनकर दुनियां से आगे निकल जायेगा.