बदले की प्यास
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
सत्ता की भूख या बदले की प्यास,
रचती है षड्यंत्र का कुटिल विन्यास।
प्यादे बिछाए जाते हैं मैदान में,
अंतिम चाल का होता है आभास।
अविश्वास की दीवारें उठती हैं,
संबंधों में दरारें पड़ती दिखती हैं।
किस पर करें यकीन, यह सोचना भी,
एक गहरी साजिश सी लगती है।
पर सत्य की किरणें छिप नहीं सकतीं,
झूठ के पर्दे हमेशा टिक नहीं सकतीं।
एक दिन उजाला होगा अवश्य,
षड्यंत्र की छायाएँ मिटेंगी निःशेष।