मैं केसे रोकु जीवन को,
....जो बीतता जाए इक इक पल,
मेरी यादों में मेरी सांसों में,
....अब तू रहेगी एक एक पल,
निभाऊं वफा या बनू बेवफा,
....मेरे तो बस में कुछ भी नहीं,
जो है बस इस कुदरत का है,
....मेरी सांसे मेरा इक इक पल,
....मेरी सांसे मेरा इक इक पल,
कवि राजू वर्मा
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