ज़िन्दगी एक अनन्त सागर
ज़िन्दगी एक अनन्त सागर है,
जहाँ भावनाओं का सैलाब
उमड़ घुमड़ कर
बिन बताए कभी भी चला आता है।
जानते-समझते हुए भी हम,
उस बवंडर में फसने को
हर पल तैयार रहते हैं ।
बाहर निकलना चाहें तो किनारा नहीं
मिलता,
किनारा दिख भी जाए,
तो धैर्य की नौका अपना
धैर्य खो देती है।
धैर्य प्रबल हो जाए तो,
विश्वास की हवा
उसे आगे नहीं बढ़ने देती।
ताउम्र इन्हीं भावनाओं के बवंडर में उलझे हम,
यूँ ही लहरों से जूझते-जूझते
एक दिन डूबकर शून्य हो जाते हैं,
पर कभी अपने धैर्य और विश्वास
को जीता नहीं पाते..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




