ज़िंदगी से भी हो कोई वादा तेरा ।
सोच तेरी हो , और इरादा तेरा ।।
दूर मंज़िल कभी नहीं होगी ।
रास्ता खुद अगर बनाओगे ।।
खुद को पाने का फायदा ये है।
खुद को खोने का डर नहीं होता ।।
अधिकार इसका किसी को न देना ।
अपना परिचय स्वयं ही देना ।।
अपने नज़रिये को स्वयं ही देखो ।
सूरज को उगता या डूबता देखो ।।
गर सफलता की आस है हमको।
हम असफलता से डर नहीं सकते ।।
ज़रूरी है नींदे , आंखों को ख़वाब दो ।
ज़िंदगी के सवाल का ख़ुद ही जवाब दो।।
बदल लें खुद को तो,
यह दुनिया भी बदल ड़ाले ।
इरादो से हथेली पर मुकद्दर
अपना लिख ड़ाले ।।
मुमकिन है यहाँ सब,
नामुमकिन नहीं कुछ भी ।
यकीं करके खुदी पर,क्यूँ न
खुदी को आज़मा ड़ाले ।।
कोशिशों में कमी नहीं रखना ।
खुद को पाने में वक़्त लगता है ।।
कोशिशे न हो गर हक़ीक़त में ।
ख़्वाब ताबीर पा नहीं सकता ।।
हौंसलों की कमी नहीं लेकिन ।
वक़्त के हादसो से डरते हैं ।।
हौसलों का पता नहीं चलता ।
मुश्किल राहों में गर नहीं आती ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




