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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ग़र काम पड़े जो कभी उनका - प्रेम आध्यात्म गीत - वेदव्यास मिश्र

ग़र काम पड़े जो कभी उनका,
नज़रों से नज़रें मिला सकें !!
हम उन्हें कभी भी मना सकें,
चाहत इतनी तो बचाके रखें !!

गुड बाय न कहिये रिश्तों को,
चाहे पास का हो या दूर का हो !!
हम गले उन्हें लगा भी सकें,
उलफ़त इतनी तो बना के रखें !!

तन से तन मिले भले ना कभी,
पर मन से मन का रिश्ता हो !!
कभी आना-जाना हो घर में,
इतनी इज्ज़त तो बचाके रखें !!


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

+

रमेश चंद्र said

आपने बिल्कुल उचित कहा श्रीमान

Bhushan Saahu said

क्या खूब लिखा है कभी आना जाना हो घर में इतनी इज्जत तो बचा के रखना waah..

Vineet Garg said

अगर किसी से नाराजगी भी है तो उसमें भी सामने वाले का आदर रखें ताकि सुलह के दरवाजे हमेशा खुले रहे

वेदव्यास मिश्र said

Vineet Garg जी, बिलकुल सही बात है गर्ग जी !! मनमुटाव अस्थायी ही रहे तो अच्छा !!

वेदव्यास मिश्र said

Vineet Garg जी, आभार बन्धु 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

Bhushan Saahu जी, नमस्कार मित्र 💜💜

वेदव्यास मिश्र said

रमेश चंद्र जी, आभार नमस्कार 💜💜

Arpita pandey said

सुंदर पंक्तियां

वेदव्यास मिश्र said

Arpita pandey जी, आभार हृदयाभिनंदन !!

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

प्रणाम आचार्य जी - बहुत ही सुन्दर सन्देश दिया आपने रचना के माध्यम से, रिश्ते मायने रखते हैं चाहे दूर के हों या पास के सच में हमें उन्हें संजो कर रखना चाहिए हालाँकि ईमानदारी से यह रचना मेरे लिए सबक लेकर आयी है और इसका स्वागत करता हूँ - अवश्य ही आज से और अभी से इस चीज़ पर काम करूँगा

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