ग़र काम पड़े जो कभी उनका,
नज़रों से नज़रें मिला सकें !!
हम उन्हें कभी भी मना सकें,
चाहत इतनी तो बचाके रखें !!
गुड बाय न कहिये रिश्तों को,
चाहे पास का हो या दूर का हो !!
हम गले उन्हें लगा भी सकें,
उलफ़त इतनी तो बना के रखें !!
तन से तन मिले भले ना कभी,
पर मन से मन का रिश्ता हो !!
कभी आना-जाना हो घर में,
इतनी इज्ज़त तो बचाके रखें !!
सर्वाधिकार अधीन है