हिंदी के विकास का उत्साह जब भी हमने खुद में जगाया,
हमारा दोस्त अंग्रेजी के साथ चखना ले आया,
जो उत्साह हममें जागा था वो कहीं खो गया,
मैं अंग्रेजी लगाकर वही सो गया,
हिंदी के विकास को कभी और आगे बढ़ाएंँगे,
अभी मदहोश है कल तक होश में आएंँगे,
ओके,डार्लिंग,स्वीटी,जानू बस यही रह गया,
आज की प्रेमिकाओं के लिए प्रेमी सिर्फ क्यूट बेबी बनकर रह गया,
पहले के आशिक इजहार में लम्बी-लम्बी कविताएंँ सुनाते थे,
बड़े-बड़े शायरों की शायरी से लुभाते थे,
आजकल के आशिकों को तो केवल अंग्रेजी बुखार है,
आई लव यू कहते ही हो गया प्यार है,
खैर हमें क्या लेना-देना हम तो अपनी हिंदी वाली रीत निभाएंँगे,
जिस से प्यार होगा उसे कविताएंँ सुनाएंँगे,
क्योंकि बात ऐसी है हमने अंग्रेजी को पढ़ा नहीं देखा है,
कहीं से सुना था हिंदी मजबूत और अंग्रेजी बेहद खूबसूरत होती है,
इसीलिए तो सब हिंदी को सीडी बनाकर अंग्रेजी तक पहुंचना चाहते हैं,
हिंदी की आंच पर अपनी अंग्रेजी रोटी सेंकना चाहते हैं,
क्योंकि अपने इस हिंद देश की आर्थिक भाषा अंग्रेजी हैं,
और हिंदी में काम करने वाला अंग्रेजी में कहलाता लेजी है,
हर कोई आज अंग्रेजी के पीछे क्रेजी है,
अंग्रेजी में लिखने और बोलने वाले मे ही लगती सबको तेजी है,
आखिर में चलते-चलते सभी को हिंदी दिवस की बधाई,
चाहे कुछ भी हो हमें अपनी मातृभाषा पर दिल से र्गव है भाई।
लेखक-रितेश गोयल 'बेसुध'