ज़माना बदला है,
चालें भी बदली।
झूठ बोलने की कला,
अब आम हो चली।
कौन क्या बोलता है,
किस पर विश्वास करें।
सब झूठ बोल रहे हैं,
जैसे कोई खेल खेलें।
नेता झूठ बोलते हैं,
वादे करते हैं बड़े-बड़े।
आते हैं चुनाव जीतने,
फिर भूल जाते हैं सब कुछ।
अफसर झूठ बोलते हैं,
फाइलें छुपाते हैं।
काम नहीं करते,
सिर्फ बहाने बनाते हैं।