हमने माना अभी अंधेरा है।
पास लेकिन बहुत सवेरा है।।
मैल दिल में कोई नहीं रखना ।
दिल में रख का अगर बसेरा है।
छीन लेता है साथ अपनों का।
वक़्त वो बेरहम लुटेरा है।।
सब मुसाफिर है मैं भी औ तु भी।
ये जहाँ तेरा है और न मेरा है।।
जा के बैठेगी अब कहाँ तितली ।
फूल है और मेरा चेहरा है ।।
----डाॅ फौज़िया नसीम शाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




