तुम हो तुल्य समंदर सी
हम तो बहती धारा है
तुझमें गर ठहराव बहुत
मेरा स्वभाव तो दरिया है
तेरे बिन उठती लहरें ही
मेरा बहना तो निश्चित है
बहकर घाटी घाटी तो
तेरी ओर ही आना है
कैसे दिशा बदल पाता
बहना मेरे न बस में है
रहना दरिया में बहना था
रस्ता तेरी ओर ही आता है
बहते बहते पास पहुंच
तुझमें और समाना है
बहते बहते दरिया में
आकर बस तुझमें मिलना है
----धीरज कुमार

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




