नींद लाने के लिए माँ लोरियां गाती रही है
अश्क़ मेरे पोंछके माथा ये सहलाती रही है
हार हो या जीत बस आगे ही बढ़ना उम्र भर
फ़र्ज से आगे नहीं वो ऐसा समझाती रही है
था नहीं खाने को कुछ रोटियां लेकर उधार
आज व्रत कहके हमें अन्न खिलवाती रही है
हाथ में उसके हुनर और बातें सारी बेमिसाल
गांव के सारे घरों में खुशियाँ बरसाती रही है
दास उसका साया सर पे काश होता उम्र भर
जब मुसीबत में पड़े माँ की याद आती रही है II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




