हकीकत से दूर,एक प्रेम ऐसा भी
वो प्रेम ही क्या जो शब्दों में सीमित हो
एक ऐसा एहसास है जो मीलों दूर से भी
भावनाओं के झूले में झूला सके।
यादों के झरोखे से बाहर निकल
हकीकत बन जाए,
आँखों से दीपक जला
चेहरे पर मुस्कराहट की रोशनी बिखेर दे।
और कभी बहती हवा में साथ छूट जाए,
फिर भी मन का उजाला कभी कम न हो पाए ।
वन्दना सूद
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