ग्राम चौपाल - पार्ट 05 का Next A - आलेख - बेरोज़गारी दूर करने का आसान फॉर्मूला और मास्साब - वेदव्यास मिश्र
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आज के ग्राम चौपाल में मास्साब के निर्देशानुसार संतोष, रामदास व रामदीन यानि कुल मिलाकर तीनों ही उपस्थित हुए थे !!
आप सभी को विदित हो कि आज के पिछले दिन के ग्राम चौपाल में मास्साब द्वारा संतोष के आत्महत्या के प्रयास करने पर हर एंगल से समझाइश दिया गया था।
और ...आज के ग्राम चौपाल में उपस्थित रहने के लिए कहा गया था ।
मास्साब ने सबसे पहले संतोष दुबे को खड़ा किया और बोले कि ग्राम चौपाल से तुमको कौन से सहयोग की अपेक्षा है, बेझिझक कहो।
हो सके तो अपनी बातों में मुख्य बिन्दु ही बताओ ।
इधर-उधर की बातें करके समय बर्बाद न करना ।
अपनी समस्या स्पष्ट कहो !!
इसके बाद बारी-बारी से रामदीन और रामदास अपनी बातें रखेंगे।
सबसे पहले संतोष अपनी बातें रखें बेझिझक खुलकर..
संतोष ने कहना शुरू किया - ग्राम चौपाल के सभी सदस्यों को नमन ।
मेरे बारे में आप सभी अवगत ही हैं।
फुलकुँवर के इनकार के बाद और नीट इक्जाम के तैयारी की वजह से बी.एस सी ( बायो.) में दो बार फैल होने से मैं अन्दर ही अन्दर घुटने लगा था ..कहीं से टूट गया ..जीने की इच्छा ही खतम हो गई थी !!
इसलिए मैंने जान देने की कोशिश की..मुझे पश्चाताप है इस बात का कि मैंने ऐसा आखिर किया ही क्यों ??
मैं ग्राम चौपाल को आश्वस्त करता हूँ कि अब कभी भी आत्महत्या का विचार भी नहीं आने दूँगा अपने मन में ।
न ही खुद करूँगा कभी और न ही किसी को कभी करने ही दूँगा !!
मेरी अपेक्षा मात्र इतनी है ग्राम चौपाल से कि ..
मैं अपनी नीट और काॅलेज की तैयारी पूरे मन से करूँ मगर कुछ करते हुए ।
सीधी-सीधी बात ये है कि इस बाईस-तेईस की उम्र में मुझे अपने पाॅकेट का खर्चा खुद ही उठानी चाहिए ।
अब मैं कुछ करते हुए समय निकालकर ही पढ़ाई में ध्यान दूँगा।
अगर मेरा सेलेक्शन हो गया तो बहुत अच्छा..अगर नहीं हुआ तो कोई बात नहीं ।
कम से कम कुछ करता तो रहूँगा ।
फालतू देखकर हमसे भी कम पढ़ा-लिखा अनाप -शनाप व्यक्ति भी कुछ भी सलाह देके चला जाता है..
कम से कम घटिया सलाह देने वालों से तो बचेगा आदमी ।
फिलहाल अभी मुझे किसी से एकाध ठेला लेकर आलू बेचने की सलाह नहीं लेनी !!
मास्साब का विशेष रूप से बहुत-बहुत शुक्रिया जो मेरे जैसे आवारा लड़के को इतनी इज्ज़त दी..मुझे अपनी समस्या रखने का अवसर दिया ..और फिर से मुझे अपने पैर में खड़ा रहने के लिए ताकत प्रदान किया आपने ।
बहुत-बहुत आभार नमन चरणस्पर्श मास्साब को ।
मास्साब ने कहा - तुमने बताया नहीं संतोष बेटे अपनी पूरी समस्या ??
यानि क्या कर सकते हो और ग्राम चौपाल इसमें कौन सी मदद कर सकता है।
मुझे लैपटॉप चलाना बहुत अच्छे ढंग से आता है..अगर मुझे लैपटॉप मिल जाये और स्कैनर वगैरह तो बड़ी कृपा होगी !!
हमारे गाँव से ही लगे पास का शहर है रामरतनपुर ।
वहाँ के गुठली चौक में दुकान खोलने के लिए एक रूम खाली है। मगर पगड़ी चालीस हजार रूपये है और किराया हर महीने पाँच हजार रूपये।
अगर कुछ जुगाड़ हो जाता तो बड़ी कृपा होती ।
मैं धीरे-धीरे पैसा लौटा दूँगा । अगर मेरी दुकान नहीं चली तो सारे सामान मैं यहाँ इस चौपाल में जमा कर दूँगा ।
पापा बहुत नाराज़ हैं नीट नहीं निकाल पाया इसलिए । ऊपर से काॅलेज में भी फैल हो गया इसलिए भी।
इसलिए,
उनसे कोई उम्मीद भी नहीं है सहयोग की ।
मास्साब ने आगे कहा - और कोई बात हो तो वो भी बताओ संतोष। हम लोग तुम्हारी बिलकुल मदद करेंगे ।
सरपंच साहब को भी अवगत कराएंगे तुम्हारी समस्या से ।
सरपंच रामलाल जी एक बहुत ही अच्छे इन्सान हैं..वो ज़रूर मदद करेंगे !
संतोष ने खुश होकर कहा - मुझे और कोई भी समस्या नहीं ।
बस इतना हो जाये तो बड़ी कृपा होगी ।
मास्साब ने बात को आगे बढ़ाते हुए रामदीन को आमंत्रित किया कि वो भी अपनी समस्या आज ग्राम चौपाल में सुनाये ।
रामदीन खड़े होकर विनम्रता के साथ कहना शुरू किया --
( "ग्राम चौपाल " की शृंखला जारी है..)
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दोस्तों,
बहुत-बहुत नमस्कार !!
इस शृंखला "ग्राम चौपाल " को आपका इतना प्यार और विश्वास देने के लिए बहुत-बहुत आभार !!
अगले दिन के चौपाल में आना मत भूलिएगा क्योंकि बेरोज़गारी से त्रस्त रामदीन भी अपनी समस्यायें बतायेगा !!
तो आइयेगा ज़रूर अगले दिन के चौपाल में 🙏🙏
सर्वाधिकार अधीन है