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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

चल रे !मुसाफ़िर

चल रे मुसाफ़िर
चल रे मुसाफ़िर सफ़र अभी बाक़ी है,
कुछ राहें चलना अभी बाक़ी है।

तुमने अपना घर तो रोशन कर लिया ,
उस रोशनी से दूसरों के आँगन में उजाला करना अभी बाक़ी है,
कुछ राहें चलना अभी बाक़ी है।

अपने लिए तो पक्की छत बना ली,
बहुतों के लिये कच्ची छत भी बनानी अभी बाक़ी है,
कुछ राहें चलना अभी बाक़ी है।

अपने घर को तो अन्न के भंडार से भर लिया,
कितनों के लिए तो एक समय के भोजन का इंतज़ाम करना भी बाक़ी है,
कुछ राहें चलना अभी बाक़ी है।

हमने तो शिक्षा का वरदान पा लिया,
अनेकों को अपने पैरों पर खड़ा करना अभी बाक़ी है,
कुछ राहें चलना अभी बाक़ी है।
चल रे मुसाफ़िर लम्बा सफ़र अभी बाक़ी है॥
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Devendra Yadav said

बहुत सुन्दर कृति!!

वन्दना सूद replied

Dhanywad sir 😊

Vineet Garg said

Behatreen 👍👍

वन्दना सूद replied

Shukriya sir 😊

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वंदना जी, बहुत ही प्रेरक प्रसंग लिखीं हैं, बधाई बधाई बधाई, सादर नमस्कार!!

वन्दना सूद replied

नमस्कार sir 🙏🙏

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