चल रे मुसाफ़िर
चल रे मुसाफ़िर सफ़र अभी बाक़ी है,
कुछ राहें चलना अभी बाक़ी है।
तुमने अपना घर तो रोशन कर लिया ,
उस रोशनी से दूसरों के आँगन में उजाला करना अभी बाक़ी है,
कुछ राहें चलना अभी बाक़ी है।
अपने लिए तो पक्की छत बना ली,
बहुतों के लिये कच्ची छत भी बनानी अभी बाक़ी है,
कुछ राहें चलना अभी बाक़ी है।
अपने घर को तो अन्न के भंडार से भर लिया,
कितनों के लिए तो एक समय के भोजन का इंतज़ाम करना भी बाक़ी है,
कुछ राहें चलना अभी बाक़ी है।
हमने तो शिक्षा का वरदान पा लिया,
अनेकों को अपने पैरों पर खड़ा करना अभी बाक़ी है,
कुछ राहें चलना अभी बाक़ी है।
चल रे मुसाफ़िर लम्बा सफ़र अभी बाक़ी है॥
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




