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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मातृभूमि का सम्मान - संदीप पारीक

हमारी मातृभूमि और माँ हमारे लिए स्वर्ग से भी बढ़कर प्यारी हैं..!
इसकी मिट्टी में खेलें, इसी में खुदें,
सावन की घड़ी में बूँदों की बौछार से भीगी धरती की खुशबू—
वो मिट्टी की सौंधी महक, चंदन से भी प्यारी है..!

यह मेरी पुण्यभूमि, मेरी स्वर्ग-सी भूमि,
जहाँ झरने झरते हैं, पर मुझे उनका शोर नहीं,
पहाड़ियों में चहकती चिड़ियों की सादगी ही प्यारी है..!

यह मेरी जन्मभूमि, मेरी मातृभूमि,
जहाँ गंगा, यमुना और त्रिवेणी संगम बहता है।
अब शहरों की चकाचौंध में मन नहीं लगता,
मुझे तो गाँव की गलियाँ और खेतों की हरियाली प्यारी है..!

मातृभूमि की सेवा में, देश की रक्षा में
सीना तान कर जो वीर घर से दूर चले जाते हैं,
उन्हें अपनी जान से भी ज़्यादा मातृभूमि प्यारी है..!

जो मिट्टी से जुड़कर बंजर ज़मीं में हरियाली लाता है,
तपती धूप में जलता है, खुद भूखा रहकर सबका पेट भरता है—
इतनी मेहनत के बाद भी कर्ज़ में डूबा रहता है,
फिर भी हँसकर कहता है—"भगवान की जैसी मर्ज़ी!"
उसकी आँखों में दर्द है, पर चेहरे पर हँसी प्यारी है..!

___संदीप पारीक
हनुमानगढ़




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Manju Sharma said

Bahut sundar marmik evam bhavnatmak rachna.

संदीप पारीक replied

बहुत बहुत धन्यवाद जी❣️🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! आपकी यह रचना मातृभूमि के प्रति प्रेम और संवेदना का एक अनुपम चित्रण है —
हर पंक्ति जैसे दिल से निकली हो और सीधे दिल तक पहुँचती है।

"मिट्टी की सौंधी महक से लेकर किसान की मुस्कान तक,"
आपने जो भाव बुनें हैं, वे काव्य नहीं, श्रद्धांजलि हैं इस धरती को।
मन बस इतना कहे — यह कविता नहीं, यह वंदन है… भारत माँ के चरणों में। 🇮🇳🌾

संदीप पारीक replied

बहुत बहुत आभार जी❣️🙏

ANIL KUMAR SHARMA said

बहुत सुन्दर रचना राष्ट्रभक्ति से लथपथ

संदीप पारीक replied

शुक्रिया जी❣️🙏

संदीप पारीक said

Thank you so much sabhi ko dil se❣️❣️

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