माता-बाप का जीवन गया घर बनाने में।
परवरिश की वो छोड़ गए उम्र चढ़ने में।।
जवानी का होश नजरे मांगती हमसफ़र।
तलाशे हुए को वक्त लगता भूल जाने में।।
झूठा होता प्यार मगर मानता कोई नही।
प्यार सिर चढ़कर बोलता इस ज़माने में।।
दौलत की जरूरत और असर भी देखा।
उस वक्त कोई नही मानता समझाने में।।
जलाने वाले खुद खाक हो गए 'उपदेश'।
रौनक का असर देखा गया आशियाने में।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




