सिर्फ पलकें बन्द करने से नींद नहीं आती
अब तो मीठी लोरियाँ भी काम नहीं आती
बन्द आँखों में कई ख़्वाब उभरते रहते हैं
हम छू नहीं सकते पर ताबीरें मिट नहीं पाती
इसी कशमकश में सुबह तो हो जाती है
मगर ज़िंदगी में ऊषा की किरण नहीं आती
तुम तो बीच राह में चल दिये मुझे छोड़कर
ख़बर न थी तन्हा प्यार की तामीर बन नहीं पाती