किसी सुबह आना।
अपने मुहुर्त में घर जगमगाना।।
दबे पाँव से ही सही।
हर एक इल्ज़ाम मुझपर लगाना।।
जमीन भी दुआएँ देगी।
ये आसमान सर पर मत उठाना।।
खुल जाएगा मुकद्दर भी।
करीब आकर 'उपदेश' के मुस्कुराना।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद