गहराई में सीमित जीवन
ज़िन्दगी ने पूछा हमसे
कैसा है ये जीवन
प्रकटन ऐसा कि
देखने में फूलों सा मनोहर,
जीने में पग पग संघर्ष की वेदना से भरा।
गति ऐसी कि
पवन को चुनौती देता,
पर दर्द में वक्त से हार जाता।
प्रबल ऐसा कि
राजा को रंक,रंक को राजा बना दे,
पर दिलों के घाव उम्रभर भी ना भर पाये।
गहराई ऐसी कि
सागर सा अनन्त लगे,
पर जीवन छोटा रह जाए और उसकी थाह न पाई जा सके।
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है