सियासत की बाहें ;अजीब हैं राहें,
मिथ्या आहें,सिंहासन पर निगाहें ,
दल बदलते रहते ; जब भी चाहें,
वक्त की आवाज ; सतर्क ही रहें ,
प्रतिद्वंद मतभेद और मनमुटाव,
चाटुकारिता - धनबल से कटाव,
बेलगाम राजनीति ; अनोखे षड्यंत्र,
धन सत्तालिलोपित्तता ; है मूल मंत्र,
दलगत श्रद्धा अटूट;समाज में फूट,
चर्चित सियासी चेहरे;पीते कड़वे घूंट ,
टिकट की सौगात ; है असली- औकात,
कद-पद की तहकीकात ; दिन-रात,
ऐसे जनसेवक नेता ; समाज के प्रणेता,
गिरगिटी गठबंधन ; पद कुर्सी के क्रेता,
वोटरों के सौदागर ; मासूम सी सूरत,
विश्वगुरु देश की ; ऐसी भावी मूरत,
धवल परिधान ; अंधियारे इनके अरमान,
बेमिसाल आश्वासन ; चकाचौंध बयान,
रटते न थकते ; देशभक्ति का गुणगान,
गांधी तेरा स्वप्निल देश, इतना महान ?
..✒️✒️राजेश कुमार कौशल