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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

चंदा के रथ पर

चंदा के रथ पर
सितारे होके सवार चले
झूमते -झूमते,लहराते
जैसे कोई बहार चले

छिटकी -छिटकी चांदनी
धरती से अंबर तक
हो कृतज्ञ सब देख रहे
तृण -तृण से तरुवर तक
गीत कानों में फुसफुसाते
नम-नम मधुर बयार चले

उज्जवल उज्जवल आंगन में
अमन चैन सौगात है
बैशाखी का महिना है
चौदहवीं की रात है
उतर -उतर मन -मन आंगन
करती हुई विहार चले

धवल -धवल है चंद्रकिरन
धवल -धवल चंचल चितवन
दिशा -दिशा है धवल नवल
धवल-धवल है वन-वन उपवन
धवलित करता अंतर्मन
किरणों का संसार चले

खेत -खेत के मेड़ से
दृष्टि जहां तक जाती है
श्वेत -श्वेत ही महीन चुनरिया
बिछी -बिछी नजर आती है
कोई तो देखे मेरी ओर
करती हुई पुकार चले

बरसा देती है मंद रोशनी
खेतों, वनों, मैदानों पर
कलियों -कलियों, फूल - फूल और
फलियों पर, बागानों पर
रात -रात भर फेंक उजाला
कर धरा श्रृंगार चले

चंदा के रथ पर
सितारे होके सवार चले।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल"
पाली, कोरबा, छत्तीसगढ़


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

सुभाष कुमार यादव said

अद्भुत रचना सर जी। प्रकृति का सुंदर चित्रण एवं मानवीकरण। आपकी रचना पढ़कर मंत्रमुग्ध हो गया।👌👌👌

Shiv Charan Dass said

मोहक प्रकृति का चित्रण है

Lekhram Yadav said

चांद ही क्यों आप सूर्य रथ पर सवार होकर भी चलें तो हम खुश हैं, बहुत खूबसूरत रचना, आपको सादर नमस्कार

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

आदरणीय लेखराम जी, सुभाष जी, शिवचरण जी तारीफ के लिए शुक्रिया जी,आप सभी को सादर नमस्कार!

वन्दना सूद said

चंदा के रथ पर सितारे होके सवार चले।👌👌👏👏बहुत खूबसूरत रचना

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वंदना जी धन्यवाद, शुभरात्रि!

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