हमसे दूर-दूर क्यों चलते हे
हम जैसे यार कहां मीलते हे
आजभी समज में नहीं आता
जमी से ऊपर क्यों चलते हे
बस्तियों मेआग सुलग रही
लोग बहार कहां निकलते हे
गीरे लोग संभल नहीं सकते
सहारे उनको कहां मीलते हे
आजकल की तो बात ही छोड़ो
सीर्फसेल्फी लेनेके लीये मरते
के बी सोपारीवाला

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




