छू कर फूलों की मधुर त्वचा,
मुग्ध हुई आज करुण व्यथा।
मंद - मंद हिलते पंखुड़ियों से,
झरा है हास उर रश्मियों से।
पुष्पित है वह कुम्हलाने को,
उत्साहित शून्य हो जाने को।
अनंत, अस्थिर, अनुपम यौवन,
हंसा है कितना क्षीण लघु जीवन।
सुन कोयल की मृदु मधु बोली,
स्वपन जगत ने आँखे खोली।
त्याग, तपस्या से दिन उजला,
ताम तिरस्कृत तम घोर हटा।
बूंदें आंसू की पुलकित रोकर,
प्रसन्न पयोधि जलमग्न होकर।
सत्य सुंदर शिव की अनुकंपा,
बरसा सावन, क्षितिज धुंधला।
_ वंदना अग्रवाल "निराली"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




