सूरज की पहली किरण बनी,
अंधेरों की दासी नहीं रहीं।
उम्मीदों की एक नई रेखा,
हर कोने में बिखर गई आभा ।
शांत नभ का छूती दामन,
जाग उठे फिर खेत और आँगन।
हर पत्ती पर स्वर्णिम चंदन,
हर दिल में भर जाए स्पंदन।
ठंडी हवा का संग लिए वो,
बचपन की हँसी समेटे वो।
नवचेतना का दीप जलाए,
थमे हुए हर पल को चलाए।
राह दिखाए, गगन दिखाए,
जीवन की धूप में छाँव बनाए।
सपनों की चादर ओढ़ाती,
हर सुबह कुछ नया सिखाती।
हे किरण! तू बस यूँ ही आए,
हर मन में उजियारा लाए।
अंधकार से हार न माने,
सपनों को फिर राह दिखाए।