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कविता की खुँटी

                    

फूल रहा अमलतास, - सुनील कुमार महला

Jun 12, 2024 | कविताएं - शायरी - ग़ज़ल | लिखन्तु - ऑफिसियल  |  👁 839,002

फूल रहा अमलतास,
पीले-पीले फूलों के लंबे गुच्छों से ओतप्रोत !
फलियों से मधुर व्याधिघात
पित्तनिवारक, कफनाशक, विरेचक, वातनाशक
देता रोगों को मात !

फूल रहा है अमलतास,
धूपकाल का साथी
बारिश भी इससे है आती
अमलतास है थाती
कर्णिकार
विरेचक ओषधि
अमलतास है विख्यात !

फूल रहा है अमलतास,
प्रकृति का सौंदर्य सर्जन
भ्रमर गुनगुनाएं, तितलियां भी फूलों का रस पी जाएं
आओ साधे इससे रिश्ता
खिलखिलाएं, मन हर्षाए !

फूल रहा है अमलतास,
क्षण-भंगुर जीवन में संगीत-रस भर रहा
आंगन के बीच, पीले फूलों से लदा
सपने लौट रहे हैं
चिलचिलाती धूप में, सन्नाटे को तोड़ता
मैं छांव में खड़ा
सुनहरे लम्हों को टटोलता !

फूल रहा है अमलतास,
रग-रग में जम गया है
मैंने अमलतास की और अमलतास ने हमारी तासीर
पहचानी है
इसकी बांहों में कोई नई रवानी है
दुःख -दर्द, पीड़ा का साथी
अमलतास, ठेठ देहाती है
फूल रहा है अमलतास
अप्रैल-जून का महीना, झूल रहा है अमलतास !

----सुनील कुमार महला




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