फिर हो गई सुबह,
....फिर संघर्षों से मेल होगा,
फ़िर होंगी चुनौतियाँ जीवन में,
....फिर लहरों का खेल होगा,
फिर नैया पार लगाना,
....किनारे तक इसको ले जाना,
फिर जीवन से मेल होगा,
फिर हो गई सुबह,
....फिर संघर्षों से मेल होगा,
फिर यादें सताएंगी मुझको,
....फिर टूटे दिलो का खेल होगा,
फिर होगी ढलती चांदनी,
....फिर रात का पहर होगा,
फिर हो गई सुबह,
....फिर संघर्षों से मेल होगा,(2)
कवि राजू वर्मा
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