कविता - दवा और सिटामोल....
प्रिये तुम्हारा क्या ख्याल है ?
तुम्हारी याद में मेरा तो बेहाल है
दिन रात बेकार है
एक सौ चार बुखार है
न कोई सोच विचार है
न दवा उपचार न उपचार है
ये तुम्हारा कैसा प्यार है ?
न देख न तो संभार है
तुम उधर पड़ी हो
उधर ही सड़ी हो
मैं इधर पड़ा हूं
इधर ही सड़ा हूं
इसी लिए तुम इधर आओ
बुखार मेरी हटाओ
क्यों की तुम ही हो अनमोल
तुम ही दवा तुम ही हो सिटामोल
तुम ही दवा तुम ही हो सिटामोल.......