दिल में गहरा दर्द समाया फिर भी हंसते हैं
आंखों में दरिया भर आया फिर भी हंसते हैं।।
क्या शिकवा गैरों से कीजे अपने रुठ गए जब
कदम कदम पर धोखा पाया फिर भी हंसते हैं।।
जितनी पीते हैं ज्यादा उतनी प्यास भड़कती है
जहर गले तक है भर आया फिर भी हंसते हैं।।
जुर्म यहां पर किसने ढाए कोई नही बताएगा
कातिल मुंसिफ होकर आया फिर भी हंसते हैं।।
तेरी यादों के ही अक्सर दीप जलाए हैं हमने
दुनिया ने पागल ठहराया फिर भी हंसते हैं।।
इस बस्ती का तो मालिक सिर्फ खुदा है दास
हर घर में गम का है साया फिर भी हंसते हैं।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




