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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

फिर आराम से जीतें हैं....

पड़ी जो प्रचंड गर्मी
मानव सूरज के तरफ़
सूरज पूरब की तरफ़
मुंह कर के खड़ा है।
अब क्यों मौन पड़ा मानव
जब ख़ुद बन के दानव
प्रकृति से लड़ता रहा।
वह रोती रही पर मानव
बेरहमी की सारी हदें
पर करता रहा।
विकास के नाम पर
लग गए सब काम पर
जी भर के अभ्यारण से रण
किए
बारी बारी से सारे जंगल साफ़ किए
खुद की जिजीविषा की शांति खातिर
खुद का हीं बहिष्कार किए।
वह चुप चाप मौन खड़ा देखता रहा
मानव ने उसके सभी अंग भंग किए
पेड़ों की बेतहाशा कटाई
खुद की हीं जिंदगी निराशा से भर लिए
वह (वृक्ष) जो ब्रह्मांड की तपन शोखता था
वह जो पारा बैगनी किरणों को रोकता था
जिसकी शाखाएं अनगिनत जिंदगियां
पनपातीं थीं ।
जिनसे स्वच्छ हवाएं सबको मिलती थीं।
जिसकी छांव कईं किस्सों कहानियों
की गवाहियां थीं
जो हर मोड़ का साथी था ।
जो जीवन और माटी था।
जो पल पल का हमराही था।
जिसने अन्न दिया जल दिया
हमारा कल दिया
हमने उसका हीं कत्ल कर दिया
वह चिल्लाता रहा
मिन्नतें करता रहा
हमने उसकी एक भी ना सुनीं
की भर के कटा उसको
बोटी बोटी कर दिए
उससे भी जी ना भरा तो
टेबल कुर्सी पलंग बना
उसपे हीं जिंदगी जी लिए।
अब क्यों तुम घबराते हो
अब उसकी बारी है
खैर नहीं तुम्हारी है।
अब प्रचंड गर्मी झेलनी की
तुम्हारी बारी है।
और अपने हसने की तैयारी है
अब लूटने मिटने कटने की तुम्हारी
रुत आई है..
पर हम(वृक्ष) तुमसा(मानव) नहीं हैं
हम जड़ हैं पर सबकुछ समझतें हैं
तुम फिर से जागो
पेड़ लगाओ
हम प्रकृति को मनातें हैं
फिर से वही मधुर शीतल संगीत
गातें हैं।
सूरज की तपन कम करतें हैं
बारिश को फिर बरसातें हैं
रिमझिम रिमझिम बूंदों की धुन पर
मधुर संगीत बजातें हैं...
फिर आराम से जीतें हैं...
फिर आराम से जीतें हैं....




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Bhushan Saahu said

Aapne baht ache tarike se smjhaya ha. Sahi bat ha ...prakrati se chedoge to yahi hoga. Abhi bhi time ha.bcha sako to bacha lo .

डॉ कृतिका सिंह said

Sundar prakrit ki durdasha karne ke baad ab jo maanav ki durdasha ho rahi hai bahut achhe se bakhan kiya hai

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut pyari rachna ke madhyam se bahut hinpyara sandesh

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