एक कुंडलियां -झूठा
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झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
रहते हैं वो साथ में, अंदर अंदर खाय।।।
अंदर अंदर खाय, निराली बातें उसकी।
हर बातों में उसे, गजब सी आती मुस्की।।
हो प्यासा गंभीर, रहे वो बहुत अनूठा ।
साबित करना उसे, बहुत मुश्किल है झूठा।
- प्यासा